भारत की हर जगह की अपनी-अपनी अलग खासियत होती है। वहीं, नॉर्थ-ईस्ट में एक ऐसा गांव है जहां लोग एक दूसरे का नाम धुन की तरह पुकारते हैं। आज हम आपको इसी गांव से जुड़ी कुछ अनोखी बातें बताएंगे।
मेघालय के एक गांव को व्हिसलिंग विलेज के नाम से जाना जाता है। अगर आप यहां किसी का नाम पूछेंगे, तो वह अपना नाम बोलकर नहीं बल्कि गा कर बताएगा।
व्हिसलिंग विलेज
कई सदियों से इस गांव के लोग इसी तरह अपना नाम एक-दूसरे को बताते हैं। यहां के निवासी जिंगरवाई लावबेई को कोड की तरह यूज करते हैं।
कोड का प्रयोग
इस गांव में जब किसी बच्चे का जन्म होता है, तो उसकी मां उसे एक धुन देती है। आगे चल कर यही ट्यून उस बच्चे का नाम बन जाता है।
मां देती है धुन
जब बच्चा गर्भ में आ चुका होता है, तब मां इस धुन को पहले से ही तैयार करती हैं। इसके बाद इस ट्यून को समुदाय के बड़े लोगों के पास लेकर जाया जाता है।
धुन करती हैं तैयार
यहां इस बात का ध्यान रखा जाता है कि कोई भी धुन किसी और धुन से न मिलती हो। यहां तक की मृत्यु के बाद भी उस धुन पर किसी और का नाम नहीं रखा जाता है।
दूसरे नाम से अलग ट्यून
इसका मतलब है कि किसी की मृत्यु के साथ ही उसकी धुन वाला नाम भी उसके साथ चला जाता है। ऐसे में हर व्यक्ति के लिए बिल्कुल अलग धुन का प्रयोग किया जाता है।
यूनिक धुन
मेघालय के इस व्हिसलिंग विलेज की आबादी लगभग 700 है। इन्हें यूनेस्को और एक स्कूल से उम्मीद है कि वो सदियों पुरानी इस परंपरा को आगे बढ़ाने में मदद करेंगे।
गांव की आबादी