जगन्नाथ मंदिर के सबसे शिखर पर भगवान नारायण का सुदर्शन चक्र मौजूद है
इसको पुरी के किसी भी कोने से देखा जा सकता है और किसी भी दिशा से देखो तो आपको ऐसा लगेगा कि इस चक्र का मुह आपकी ही तरफ है
मंदिर के शिखर पर स्थित ध्वज हवा के हमेशा विपरीत दशा में लहराता है, मंदिर के पुजारी के द्वारा इस ध्वज को हर रोज 45 मंजिला उल्टा चढ़कर बदला जाता
मान्यता है कि अगर किसी दिन भूलवश ध्वज नहीं बदला गया तो मंदिर अगले 18 वर्षों तक बंद कर दिया जाएगा।
मूर्तियों को बारह वर्ष बाद बदला जाता है तो पूरे शहर और मंदिर में अंधेरा करके शहर की बिजली बंद की दी जाती है और गुप्त अनुष्ठान नवकलेवर भी करवाया जाता है
मुर्तियों में से एक प्रकार का ब्रह्म पदार्थ निकाला जाता है इस पदार्थ में इतनी ऊर्जा है कि इसको देखने वाला व्यक्ति अंधा हो सकता है और मर भी सकता है
जगंन्नाथ मंदिर के गुबंदों पर आपकों एक भी पक्षी नहीं दिखेगा। इस मंदिर के ऊपर इर्द-गिर्द भी नहीं उड़ते है पक्षी, यहां तक की इसके ऊपर कोई हवाई जहाज या हेलिकॉप्टर भी नहीं उड़ते।
यह दुनिया सबसे ऊंचा और सुन्दर मंदिर है इसकी उंचाई लगभग 214 फीट है और यह 4 लाख वर्ग फुट तक फैला भव्य मंदिर है आश्चर्य की बात यह है कि इस मंदिर के गुबंद की छाया दिन के समय में कभी भी नहीं बनती है।
जब आप अपने कदम इसके सिंह द्वार में प्रवेश करेंगे तो देखेंगे कि समुंद्र की लहरों की आवाज गायब हो जाती है और जैसे ही इस द्वार से बाहर निकलोगे तो आवाज फिर दुबारा आने लगेगी, है ना! कितनी आश्चर्य की बात
विज्ञान के अनुसार ऐसा होना असंभव है परन्तु यहा उड़िसा के पुरी में हवा जमीन से समुंद्र की ओर चलती है
हर बारह साल में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की काष्ठ (लकड़ी के लट्ठे) की मुर्तियों का निर्माण दुबारा किया जाता है और उनको पहली बनी मुर्तियों के साथ बदल दिया जाता है
आश्चर्य की बात यह है कि नई मुर्तिया बनने के बावजूद इनका स्वरूप, आकार, रंग-रुप, लंबाई चौड़ाई सब-कुछ एक जैसा ही रहता है।
श्री जगन्नाथ मंदिर में स्थित रसोई विश्व की सबसे बड़ी रसोई मानी जाती है। इस रसोई में हर दिन 500 के करीब रसोइए और 300 के आस पास सहयोगी भोजन बनाते हैं।