नवरात्रि  के 9 दिनों में 9 देवियो के स्वरुप की महिमा 

शैलपुत्री देवी दुर्गा के नौ रूप में पहले स्वरूप में जानी जाती हैं, जो ब्रह्मा, विष्णु और महेश की शक्ति का अवतार मानी जाती है। पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री रूप में उत्पन्न होने के कारण इनका नाम 'शैलपुत्री' पड़ा।

दूसरे दिन, देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। वह अपनी तपस्या और भक्ति के लिए जानी जाती है और रुद्राक्ष माला और कमंडल लेकर दिखाई देती है।

तीसरे दिन, देवी चंद्रघंटा की पूजा की जाती है, जो सौंदर्य और बलिदान का अवतार मानी जाती है। वह दस हाथों वाली होती है, जंगली बाघ पर सवार होती है|

नवरात्र के चौथे दिन दुर्गाजी के चतुर्थ स्वरूप मां कूष्मांडा की पूजा और अर्चना की जाती है। माना जाता है कि सृष्टि की उत्पत्ति से पूर्व जब चारों ओर अंधकार था तो मां दुर्गा ने इस अंड यानी ब्रह्मांड की रचना की थी।

नवरात्र के पांचवे दिन दुर्गाजी के पांचवें स्वरूप मां स्कंदमाता की पूजा और अर्चना की जाती है। स्कंद शिव और पार्वती के दूसरे और षडानन (छह मुख वाले) पुत्र कार्तिकेय का एक नाम है

नवरात्र के छठे दिन दुर्गाजी के छठे स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा और अर्चना की जाती है। ऐसा विश्वास है कि इनकी उपासना करने वाले को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष इन चार पुरुषार्थ चतुष्टय की प्राप्ति हो जाती है

नवरात्र के सातवें दिन दुर्गाजी के सातवें स्वरूप मां कालरात्रि की पूजा और अर्चना का विधान है। इनका वर्ण अंधकार की भांति एकदम काला है। 

नवरात्र के आठवें दिन दुर्गाजी के आठवें स्वरूप मां महागौरी की पूजा और अर्चना का विधान है। जैसा कि इनके नाम से ही स्पष्ट है कि इनका वर्ण पूर्ण रूप से गौर अर्थात् सफेद है। 

नवरात्र के नौवें दिन दुर्गाजी के नौवें स्वरूप मां सिद्धदात्री की पूजा और अर्चना का विधान है। जैसा कि इनके नाम से ही स्पष्ट हो रहा है कि सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली देवी हैं मां सिद्धिदात्री। 

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