भारत में देखने और रहने के लिए कई खबूसूरत जगहें हैं, लेकिन आज हम आपको एक ऐसे अनोखे शहर के बारे में बताने जा रहे हैं जहां लोगों को रहने के लिए पैसों की जरूरत नहीं पड़ती है। जी हां, ऑरोविले की वेबसाइट के माध्यम से आज हम इस अनोखे शहर के बारे में जानेंगे -
चेन्नई में मौजूद ऑरोविले शहर की स्थापना 1968 में की गई थी। इस जगह को सिटी ऑफ डॉन यानी कि भोर का शहर भी कहा जाता है।
फ्री शहर का नाम
ऑरोविले को बसाने के पीछे केवल एक ही मकसद थी और वो ये था कि यहां लोग जात-पात, ऊंच-नीच और भेदभाव से दूर रहें।
शहर को बसाने का मकसद
इस जगह पर रहने वालों के लिए सिर्फ एक ही नियम है कि उन्हें यहां सेवक के रूप में रहना पड़ेगा। ये एक तरह का प्रयोगिक टाउनशिप है।
कौन रह सकता है यहां
मीरा अल्फाजों ने इस शहर की शुरुआत की थी। वे श्री अरविंदो स्प्रिचुअल रिट्रीट में 29 मार्च 1914 में पुदुच्चेरी आई थी।
किसने शुरू किया शहर
इस जगह के बीचों-बीच एक मंदिर है, जिसे मातृमंदिर के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर किसी विशेष धर्म या संप्रदाय से संबंधित नहीं हैं।
धर्म की नहीं है अवधारणा
इस शहर में रहने के लिए करीब 50 देशों के लोग आते हैं। इस शहर की तकरीबन आबादी 2400 है।
कितने लोग रहते हैं
आपको जानकर हैरानी होगी, लेकिन ऑरोविले बिना सरकार के चलता है। इस जगह को 900 सदस्यों की सभी चलाती है।
नहीं है कोई सरकार